अपने सब रूठे चाहे हो बदनामी
श्यामसुन्दर की मैंने कर ली गुलामी
अपने सब रूठे चाहे हो बदनामी
श्यामसुन्दर की मैंने कर ली गुलामी
कृष्णमुरारी गिरिधारी कृष्णमुरारी गिरिधारी
नटवर नागर गिरिधारी नटवर नागर गिरिधारी
रोज सुनू मैं सत्संग जा कर
रोज सुनू मैं सत्संग जा कर
तुझे रिझाऊ तेरा नाम गा कर
तुझे रिझाऊ तेरा नाम गा कर
कोई कुछ बोले मैंने भर ली हामी
कोई कुछ बोले मैंने भर ली हामी
श्यामसुन्दर की मैंने कर ली गुलामी
अपने सब...................................
तेरे दर पर शीश झुका कर
तेरे दर पर शीश झुका कर
सब कुछ पाया मैंने तुमको पा कर
सब कुछ पाया मैंने तुमको पा कर
दीदार के काबिल कहा अपनी नजर है
ये तो उनकी इनायत है कि रुख उनका इधर है
मुझ जैसे खोटे को तुमने कर दिया नामी
मुझ जैसे खोटे को तुमने कर दिया नामी
श्यामसुन्दर की मैंने कर ली गुलामी
अपने सब..................................
पाप-पुण्य मैं कुछ ना जानू
भला बुरा क्या मैं ना पहचानूं
पाप-पुण्य मैं कुछ ना जानूँ
भला बुरा क्या मैं ना पहचानूँ
उन्हें क्षमा करना मुझ में हो जो खामी
उन्हें क्षमा करना मुझे में हो जो खामी
श्यामसुन्दर की मैंने कर ली गुलामी
अपने सब..................................