श्रीमद्भागवत गीता आरती

| श्रीमद्भागवत गीता आरती |

करो आरती श्रीमद्भागवत गीता की।
कर्म प्रकाशिनि ज्ञान प्रदायिनी की ।।

जग की तारन हार त्रिवेणी,
स्वर्गधाम की सुगम नसेनी।
अपरम्पार शक्ति की देनी,
जय हो सदा पुनीता की।।
करो आरती श्री मद्भागवत गीता की।
कर्म प्रकाशिनि ज्ञान प्रदायिनी की ।।

ज्ञानदीन की दिव्य-ज्योती मां,
सकल जगत की तुम विभूती मां।
महा निशातीत प्रभा पूर्णिमा,
प्रबल शक्ति भय भीता की।।
करो आरती श्री मद्भागवत गीता की।
कर्म प्रकाशिनि ज्ञान प्रदायिनी की ।।

अर्जुन की तुम सदा दुलारी,
सखा कृष्ण की प्राण प्यारी ।
षोडश कला पूर्ण विस्तारी,
छाया नम्र विनीता की।।
करो आरती श्री मद्भागवत गीता की।
कर्म प्रकाशिनि ज्ञान प्रदायिनी की ।।

श्याम का हित करने वाली,
मन का सब मल हरने वाली।
नव उमंग नित भरने वाली,
परम प्रेरिका कान्हा की ।।
करो आरती श्री मद्भागवत गीता की।
कर्म प्रकाशिनि ज्ञान प्रदायिनी की ।।